सकार की सोच - विजन
सकार की सोच – विजन
“सृष्टि के संतुलन के साथ तारतम्य स्थापित करते हुए युग की माँग के अनुसार कार्य करना। “
साकार क्या है?
साकार जागृति प्रवाह समिति एक ऐसा संगठन है जो जीवन के एक-एक क्षण को पूरी जीवंतता के साथ जीने में विश्वास रखता है। जीवन की सहज स्थितियाँ सभी के लिए उपलब्ध हो सकें, इसके लिए प्रयत्नशील रहता है। यह प्रयत्न साकार के सदस्यों के लिए न तो कार्य है और न ही आन्दोलन क्योंकि कार्य थका, उबा देता है 1 और आन्दोलन अपनी परिणति पाकर थम जाता है। यह प्रयत्न साकार परिवार की जीवन शैली का अंग है, जिनको करते हुए साकार के सदस्य जीवन उर्जा के बीच स्वयं को रचा-बसा पाते हैं समय और जीवन की सार्थकता की अनुभूति से भरते हैं। साकार एक ऐसा नाभिक बनने को कृत संकल्प है, जिसका विस्तार हो तो सारा संसार सुखी हो जाए। इसके लिए साकार जागृति प्रवाह समिति अपने नाम के अनुरूप विभिन्न ऐसे आधार भूत कार्य कलापों में संलग्न है जो सभी के जीवन को सुखी एवं गरिमामय बना सके।
सर्वाधिक महत्वपूर्ण तथ्य यह प्रवाह परिवार अपने कार्यक्रमों के लिए किसी सरकारी / गैरसरकारी संस्थाओं / संगठनों की आर्थिक सहायता पर आश्रित नहीं है। परिवार की नीति है कि परिवार के सदस्य स्वयं व्यक्तिगत धन को इन कार्यक्रमों में लगा ही नहीं अपितु चाहें तो कार्य भी करें। ऐसा करने से व्यय धन की उपादेयता तो सदस्यों के समक्ष स्पष्ट ही होती है साथ ही पारदर्शिता के चलते किसी प्रकार के संदेह, वैमनस्य एवं नकारात्मक स्थिति के उत्पन्न होने की गुजांइस ही नहीं रहती। साथ ही प्रवाह परिवार के सदस्यों को अपनी सामाजिक भागीदारी होने की आत्मसंतुष्टि भी रहती है।
साकार क्यों है ?
● क्योंकि व्यक्ति भूल गया है जीवन जीना।
● क्योंकि एकांगी बौद्धिकता ने आनन्द के सारे स्रोत सुखा दिए हैं।
● क्योंकि हमारे अग्रजों ने हार मान ली है, युवा दिग्भ्रमित है और किशोर असहाय । .
● क्योंकि नैतिकता और जीवन मूल्य की बातें दुर्गन्धपूर्ण लगने लगी हैं।
● क्योंकि धर्म एवं परम्पराओं के अर्थ हिंसक हो रहे हैं।
● क्योंकि अन्याय और अत्याचार से समझौता करना सीख लिया है हमने और घुटन जीवन का हिस्सा बनती जा रही है।
● क्योंकि निराश, दमित और कुण्ठित आक्रोष विध्वंसात्मक, विकृत और विक्षिप्त होने लगा है।
साकार क्या चाहती है ?
• पूर्णतया संतुष्टि देने वाली झूमती, नाचती, गाती, संगीतमय ज़िन्दगी।
• सहजता, सकारात्मकता और आत्मविश्वास से भरा हुआ व्यक्ति ।
• प्रतिभा की ठीक-ठीक पहचान और अपेक्षित मार्गदर्शन द्वारा उसकी सर्वश्रेष्ठ गढन
• धर्म एवं परम्पराओं की सृजनात्मक एवं सकारात्मक स्वीकृति।
• मानवीय आदर्शों की व्यावहारिक स्थापना ।