इतिहास
‘साकार जाग्रति प्रवाह समिति ( प्रवाह परिवार) की स्थापना दिनांक 14 जनवरी 1994 को ‘साकार जाग्रति परिषद’ के नाम से हुई थी । परिषद में उस समय श्री अजय अस्थाना, अल्पना सक्सेना, अर्चना त्रिपाठी, मधुलता तिवारी, श्री राकेश कुमार विज, अनामिका अस्थाना, श्रीमती जनकरानी विज, श्रीमती इन्द्रेश अस्थाना, अर्चना अस्थाना, निशा विज, रितु कारीढाल एवं अंजलि आदि की सहभागिता ।
परिषद के उद्देश्य थे
1- राष्ट्र एवं राष्ट्रभाषा के प्रति पूर्ण समर्पण के प्रेरण |
2- स्वयं को सम्पूर्ण मानवता के साथ एकीकृत करना ।
3–स्वयं को सत्यम् शिवम् के अनुकूल बनाकर राष्ट्र की सर्वोन्मुखी प्रगति में योगदान देना। कुछ समय तक परिषद के अन्तर्गत विचार गोष्ठियाँ, परिचर्चाएं आदि आयोजित हुई किन्तु क्रमशः यह प्रयास क्षीर्ण होते गए ।
दिनाँक 20 अगस्त 2000 को संस्था का पुर्नउद्घाटन हुआ । इस उदघाटन समारोह में श्रीमती वृंदारानी विज, श्रीमती वन्दना अस्थाना, श्री भरत मिश्रा, सुश्री निशा विज, सुश्री अंजलि · श्री विशाल मिश्रा, श्री धर्मवीर पंजवानी, श्री सुभाष कारीढाल, श्री मती इन्द्रेश अस्थाना, श्रीमती अलका अस्थाना, सुश्री अनामिका अस्थाना, सुश्री निधि अग्रवाल, सुश्री अर्पिता कुण्डु, सुश्री प्रवीणा गुप्ता, सुश्री आकांक्षा श्रीवास्त्व, सुश्री प्रीति श्रीवास्तव, सुश्री विनीता भारती, श्री मती जनकरानी विज, सुश्री अपर्णा अवस्थी, श्री करुणा शंकर आदि ने भाग लिया ।
यह उद्घाटन समारेह सुश्री अंजलि के तत्कालीन आवास ई – 1860 राजाजीपुरम्, लखनऊ में सम्पन्ना हुआ। उद्घाटन समारोह की अध्यक्षता श्रीमती वृंदारानी मिश्रा ने की एवं संचालन सुश्री अंजलि किया। समारोह में विभिन्न सामाजिक, शैक्षिक, पर्यावरण-संबंधी, बाल विकास संबंधी आदि कार्यक्रमों को संचालित करने का निर्णय लिया गया। तब से लेकर आज तक साकार जाग्रति प्रवाह समिति नियत किए गए कार्यों को विविध रूपों में कर रही है।
कार्यक्रम
साकार जाग्रति प्रवाह समिति प्रमुख रूप से पाँच स्तरों पर कार्यरत है-
1- परिवार
2- स्वास्थ्य
3- शिक्षा
4- पर्यावरण
5- साहित्य, संगीत, कला और खेलकूद
व्यक्ति के सुख का आधार प्राथमिक स्तर पर उसका परिवार है। उसका पारिवारिक प्रेम, समझ एवं अपनानुभूति है । साकार ऐसा अनुभव करती है पारिवारिक नासमझी, रूखापन, अजनबीपन, अकेलापन एवं प्रेमविहीनता समाज में व्याप्त अनेकानेक विकृतियों एवं अनैतिकता का आधार है। इसलिए साकार सर्वप्रथम एक स्वस्थ, सुन्दर, हँसते-खेलते, जाग्रत एवं वैचारिक परिवार की बात करती है। इस हेतु साकार दो स्तरों पर कार्य करती है-
1- जीवन से जुड़े विभिन्न विषयों को लेकर मासिक परिचर्चाएँ आयोजित करती है। जो पारिवारिक सुख के साथ-साथ व्यक्ति के आत्मविश्वास का हेतु भी बनती है।
2 – विभिन्न पर्वों के अवसर पर पारिवारिक उत्सव का आयोजन करना ।
1. – मासिक परिचर्चा – विषय ( खण्ड – 1 )
• सुन्दरता क्या है? यह सर्वप्रिय कैसे बन सकती है?
• प्रेम क्या है ?
• सम्मोहन क्या है ?
• लोग क्या कहेगें ?
• परिपक्वता के मानदण्ड ? भाग – 1 |
• हम शिकायत क्यों करते हैं?
• भीतर का तराजू और हम ?
• ईश्वर क्या है? उसके बिना क्या व्यक्ति सार्थक जीवन जी सकता है? यदि हाँ कैसे ? यदि नहीं तो क्यों?
• नकारात्मक वृत्तियों का कारण और निवारण ।
• जीवन में सफलता और सार्थकता के मानदण्ड ।
• स्वार्थ किसे कहते हैं ?
• क्रोध और क्रोध के मायने ।
• जीवन और उसकी शैलियाँ |
• परिपक्वता के मानदण्ड भाग – 2
• वर्तमान परिवेश में हमारी भूमिका ?
• जीवन में अर्थ का महत्व |
• मोक्ष और असकी अवधारणाएँ ।
• सफल दाम्पत्य कैसे सम्भव ?
खण्ड – 2
• हम कहाँ-कहाँ और क्यों क्यों ठगे जाते हैं?
• सुख और दुख क्या है?
• सुख के आवश्यक तत्व ।
• आन्तरिक विकार और उसका मनोविज्ञान |
• न्यूनाभाव व अहंभाव का सूत्रपात तथा मनोविज्ञान ।
• जीवन में रूढ़ मान्यताओं का प्रभाव ।
• व्यक्ति की पतन मीमांशा
• व्यक्ति पर समाज का प्रभाविता का सिद्धान्त ।
• संसार में यदि कोई अपना न हो तो?
• पाप व पुण्य का आधार एवं उनका मनोविज्ञान ?
• साहित्य, संगीत, कला और जीवन के सुर, ताल, लय ?
• व्यक्ति में विध्वशांत्मक मानसिकता का जन्म क्यों और कैसे होता है ?
• काम और उसके आयाम
खण्ड-3
• जीवन में घुटन के कारण ?
• हम ऊबते क्यों हैं?
• जीवन में हार क्यों जाते हैं हम ?
• पीढ़ी अन्तराल
• संवेदनाओं की टूटती साँसे … ।
• संवेदनाएं जाग्रत कैसे हों ?
• नीरस जीवन में रस कैसे भरा जा सकता? ऐसा जीवन जिसे देख लोग जीने की चाह
से भर जायं ।
• इतिहास, वर्तमान, भविष्य के अर्न्तसम्बन्ध एवं सृजनात्मक तथ्य।
• वर्तमान सामाजिक नीतियों के प्रति आपका दृष्टिकोण ?
• समाज क्या है? समाज पर व्यक्ति पर प्रभाविता का सिधान्त ।
खण्ड – 4
• वर्तमान परिवेश और हमारी भूमिका ? (पुन…)
• अध्यात्म क्या है, उसका धर्म से क्या अर्न्तसम्बन्ध है ?
• कैसी हो हमारी सोच, सिद्धान्तवादी, भौतिकवादी या भावनात्मक ?
• धर्म और युवा ।
• जगरुक नागरिक कौन? उसके दायित्व क्या ?
• वर्तमान किशोर पीढ़ी: दशा और दिशा ।
• युवा पीढ़ी: दशा दिशा, संदर्भ: शिक्षा, परिवार, समाज ।
• पारिवारिक कलह के मूल कारण ?
• सृष्टि की उत्पत्ति का हेतु क्या है ?
• क्या हमारा ईश्वर निरन्तर विकास कर रहा है? यदि हाँ तो कैसे?
• यदि नही तो क्यों?
• गाँधी चिंतन एवं वर्तमान में उसके परिस्कार ( व्यवहारिक) की सीमा एवं आवश्यकता? • भाषाः संदर्भ-व्यक्तिगत एवं राष्ट्रीय उन्नति ।
• सांस्कृतिक धरोहरों एवं मूल्यों का पोषण बनाम आत्मपोषण ?
• तथाकथित धार्मिक उन्माद एवं मानवीय मूल्यों की हत्या ।
• ट्रिपल ट्री (भाग – 1) प्रबन्धन (जंतहमजए जतंबाएजववसे) भाग-1
• ट्रिपल ट्री (भाग-1) प्रबन्धन (जंतहमजएजतंबाएजववसे) भाग-2 वर्तमान परिवेश और हमारी भूमिका ?
1. – पारिवारिक उत्सव का आयोजन-
‘साकर जाग्रति प्रवाह समिति एक परिवार के रूप में कार्य करती है। इसीलिए इसका उपनाम प्रवाह – परिवार पड़ गया । आज साकार से जुड़े हुए सभी लोग इसी ‘प्रवाह परिवार’ का हिस्सा हैं।
प्रवाह परिवार विभिन्न पर्वों – 15 अगस्त, 26 जनवरी, ईद, होली, दीवाली, बकरीद, क्रिसमस, लोहड़ी, गुरु पर्व, नववर्ष आगमन, प्रवाह परिवार के सदस्यों का जन्मदिवस, एवं अन्य भारतीय पर्वों व महापुरुषों के जन्मदिवस को पूरे हर्षोल्लास के साथ मनाती है। इसके पीछे प्रवाह परिवार की सोच यह है हम विभिन्न पर्वों के औचित्य एवं उनका मनोविज्ञान तथा विज्ञान से परिचित हो सकें। साथ ही जीवन को सुखमय बनाने के एक और बहाने को भुना सकें ।
– खाद्य सुरक्षा एवं स्वास्थ्य-
यह प्रवाह परिवार का एक और महत्वपूर्ण कार्य है। इसके अन्तर्गत शहरी एवं ग्रामीण स्तर पर विद्यालय / महाविद्यालय / विश्वविद्यालय स्तरों पर समूहों में, नुक्कड़ नाटक एवं परिचर्चा, संगोष्ठी आदि के माध्यम से खाद्य सामग्रियों की गुणवत्ता, उनकी परख एवं उनके शरीर पर प्रभाव / दुष्प्रभाव की जानकारी अधिकृत / प्रशिक्षित व्यक्तियों / संस्थाओं के सहयोग से दी जाती है। इसके लिए कोई विशेष समय निर्धारित नहीं है, परन्तु संस्था का परिपूर्ण प्रयास रहता है कि अधिक से अधिक कार्य इस क्षेत्र में कर सके
– स्वास्थ जागरुकता कार्यक्रम-
साकार के सदस्यों द्वारा ग्रामीण स्तर पर विद्यालयों में जाकर शिक्षा, पर्यारण, आचरण जैसे मूलभूत विषयों पर कक्षा ली जाती हैं। इन कक्षाओं में निम्नलिखित बिन्दुओं के आधार पर प्रकाश डाला जाता है।
– स्वास्थ के हानिकारक पहलू-
• खुली गन्दी वस्तुओं को लेना ।
• नियमित समय पर भोजन न करना ।
• आवश्यकता से अधिक भोजन लेना ।
• संतुलित भोजन (दाल, सब्जी, रोटी, पत्ते वाली सब्जी, फल आदि) का न लेना ।
• भोजन पचाने के लिए कोई उद्योग न करना ।
• तन की सफाई न करना । वस्त्र गन्दे पहनना ।
• मन पर कुविचारों एवं तनावों का निरन्तर बोझ लिए रहना ।
• बिना जाने समझे औषधि प्रयोग करना ।
• खुले में मल त्याग, मृत जानवर छोड़ना ।
• यूरिया आदि रसायनिक खादों एवं कीटनाशकों का प्रयोग ।
• पर्यावरण के प्रति असजगता ।
• मौसम परिर्वतन के समय असावधान रहना ।
– शिक्षा-
शिक्षा विभाग संस्था का सर्वाधिक महत्वपूर्ण विभाग है। साकार का मानना है कि शैक्षिक स्तर पर व्यक्ति को सर्वाधिक चेतन रहने की आवश्यकता है। व्यक्ति के निर्माण में सर्वाधिक महत्वपूर्ण भूमिका शिक्षा की होती है। इसलिए साकार अत्यधिक सजग और चेतन दृष्टि के साथ बेहतर शिक्षा व्यवस्था के लिए विभिन्न स्तरों पर निम्न प्रकार से कार्यरत है-
– एक दिवसीय कार्यशाला-
विद्यालय / महाविद्यालय स्तर पर एक दिवसीय कार्यशाला महानगरीय स्तर पर ( प्रत्येक माह में एक बार ) । इस कार्यशाला का उद्देश्य है महानगरीय स्तर पर अध्ययनरत विद्यार्थियों को झकझोर कर अपने केन्द्र पर लाना, ताकि वे विभिन्न प्रलोभनों, आकर्षणों एवं भौतिकता की अंधी दौड़ में न भटककर अपने लिए उचित ध्येय एवं पथ का चयन कर सकें।
– विद्यार्थी संकल्प कार्यशाला (तीन दिवसीय ) –
जुलाई-अगस्त एवं नवम्बर में कक्षा 11 के विद्याथियों के लिए आयोजित की जाने वाली कार्यशाला । यह कार्यशाला विशेष रूप से ग्रामीण स्तर पर आयोजित की जाती है, (वर्ष में दो बार ) । इस कार्यशाला का उददेश्य है ग्रामीण स्तर पर अध्ययनरत विद्यार्थियों की प्रतिभा को सामने लाकर, उन्हें उचित मार्गदर्शन प्रदान करना, तदुपरान्त वे अपने जीवन में जो करना चाहते हैं उसके लिए उन्हें हर सम्भव सहयोग करने का प्रयास करना ।
अध्यापक प्रशिक्षण कार्यशाला – 1 ग्रामीण स्थानों पर माध्यमिक स्तर पर अध्यापन रत अध्यापकों के लिए तीन दिवसीय कार्यशाला ( जून में वर्ष में एक बार ) ।
अध्यापक प्रशिक्षण कार्यशाला – 2 स्थानीय विद्यालय में ही आयोजित की जाने वाली एक दिवसीय कार्यशाला । ( सितम्बर में, वर्ष में एक बार )
‘अध्यापक यदि चाहे तो विद्यार्थी को तराशकर पत्थर से हीरा बना सकता है’ इसी दृष्टि को ध्यान में रखकर उक्त दोनों कार्यशालाओं में अध्यापक के गुरुतर महत्व, उसकी भूमिका, व्यक्ति, समाज तथा राष्ट्र के निर्माण में अध्यापक का योगदान आदि बिन्दुओं के माध्यम से अध्यापक को जाग्रत करने का प्रयास करना एवं अध्यापन के वैज्ञानिक, मनोवैज्ञानिक व व्यवहाहिक तरीकों से प्रशिक्षित करना ।
शैक्षिक सेमिनार – शिक्षा के समस्त पावदानों (परिवार, समाज, विद्यालय, महाविद्यालय, विश्वविद्यालय आदि) को दृष्टि में रखकर शैक्षिक सेमिनार फरवरी माह में। (वर्ष में एक बार) शैक्षिक स्तर पर होने वाली एक छोटी सी चूक भी प्रकारांतर से व्यक्ति, समाज, राष्ट्र एवं समग्र जीवन को किस प्रकार कमजोर और खोखला बना देती है, t इस दृष्टि को ध्यान में रखकर विषयों का चयन कर चर्चा परिचर्चा एवं संगोष्ठियाँ आयोजित कर जन मानस को जाग्रत करने का प्रयास करना ।
– शैक्षिक सेमिनार –
शिक्षा के समस्त पावदानों (परिवार, समाज, विद्यालय, महाविद्यालय, विश्वविद्यालय आदि) को दृष्टि में रखकर शैक्षिक सेमिनार फरवरी माह में। (वर्ष में एक बार) शैक्षिक स्तर पर होने वाली एक छोटी सी चूक भी प्रकारांतर से व्यक्ति, समाज, राष्ट्र एवं समग्र जीवन को किस प्रकार कमजोर और खोखला बना देती है, इस दृष्टि को ध्यान में रखकर विषयों का चयन कर चर्चा परिचर्चा एवं संगोष्ठियाँ आयोजित कर जन मानस को जाग्रत करने का प्रयास करना ।
पथ चयन कार्यक्रम – पथ चयन शिक्षा विभाग का एक अन्य महत्वपूर्ण कार्यक्रम है। इसके लिए साकार एक कार्यशाला का अयोजन करती है, जिसमें कम से कम 15 वर्ष से किसी भी आयु तक के व्यक्ति, जो पात्रता रखते हैं भाग ले सकते हैं। इस कार्यशाला के अन्तर्गत निम्न लिखित दो प्रकार से कार्य किया जाता है-
1 – एक विषय योजना – एक विषय योजना के अन्तर्गत साकार से जुड़ने वाले व्यक्तियों को विशेष रूप से विद्यार्थियों को स्वैक्षानुसार निम्न लिखित विषयों में से किसी एक विषय को चुनना होता है, जिसे चुनकर वे न केवल अपनी पहचान बना सकते हैं अपितु उस विषय के मर्मज्ञ बनकर समाज, राष्ट्र और प्रकारान्तर से समस्त विश्व के हित साधक बन सकते हैं। इस हेतु साकार इच्छानुसार विषय चुनने में सहयता करने से लेकर समस्त साधन एकत्रित कर व्यक्ति का पूर्ण सहयोग करने के लिए तत्पर है।
विषय-
1. भूगोल
2. इतिहास
• भूगर्भ विज्ञान
• खगोल विज्ञान
• जीव विज्ञान
• मनोविज्ञान
• मानवविज्ञान
• दर्शन विज्ञान
• समाजशास्त्र
• अर्थशास्त्र
• पर्यावरण
• भौतिक विज्ञान
• रसायन विज्ञान
• वनस्पति विज्ञान
• राजनैतिक विज्ञान
• गणित
• कृषि विज्ञान
• शिक्षाशास्त्र
• विधि न्याय
• पत्रकारिता
• संविधान संस्कृति
• कला
• खेल साहित्य
• साहित्य
• इस्लाम ईसाई दर्शन
• हिन्दु दर्शन
• जैन दर्शन
• बौद्ध दर्शन
• पारसी एवं अन्य प्रचलित दर्शन
• सौन्दर्य शास्त्र
पर्यावरण
पर्यावरण विभाग के अन्तर्गत साकार दो स्तरों पर कार्य करती है-
1- जल संरक्षण कार्यक्रम ।
2- वृक्षारोपण कार्यक्रम |
3- पयार्यवरण संतुलन हेतु संगोष्ठी, परिचर्चा व जागरुकता रैली आदि ।
साहित्य, संगीत, कला और खेलकूद
साकार ऐसा सोचती है जीवन को रसमय एवं सक्रिय बनाने रखने के लिए व्यक्ति में किसी न किसी प्रकार की कलात्मक अभिरुचि होना आवश्यक है। इसके साथ ही व्यक्ति के निर्माण में साहित्य, संगीत, कला और खेलकूद की अत्यधिक महत्वपूर्ण भूमिका होती है। इसी तथ्य को दृष्टि में रखकर साकार वर्ष में यथा अनुकूल उक्त विषयों से संदर्भित विभिन्न वैचारिक संगोष्ठियों का आयोजन, रंगारंग कार्यक्रम आदि का आयोजन करती है ।